FasTag New Rule: अगर आप भी अक्सर हाईवे पर सफर करते हैं, तो आज की यह खबर आपके लिए है। बता दे कि केंद्र सरकार की तरफ से लंबे समय से हाईवे पर प्रीपेड फास्टैग के इस्तेमाल को प्रमोट किया जा रहा है। अगर आपकी गाड़ी पर फास्टैग नहीं होगा, तो आपसे दुगनी रकम वसूली जा सकती है। हाल ही में इसको लेकर एक जनहित याचिका मुंबई हाई कोर्ट में भी आई है, आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
याचिका में कहां गया कि जो लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, वह फास्टैग को कैसे इस्तेमाल करेंगे। ऐसे में टोल पर कम से कम एक बूथ तो बिना फास्टैग वाला होना ही चाहिए, इसे लोगों के मौलिक अधिकार का हनन बताते हुए याचिका लगाई गई थी। इस पर अहम फैसला देते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि लोगों को हर हाल में अपने वाहनों पर फास्टैग लगवाना ही होगा, अगर ऐसा नहीं होता है तो दुगनी रकम वसूले जाने की पॉलिसी बिल्कुल सही है।
फास्टैग अनिवार्य
मुख्य न्यायाधीश आलोक आराध्या और न्यायमूर्ति भारतीय डांगरे की बेंच ने गुरुवार को कहा कि फास्टैग की शुरुआत एक नीतिगत फैसला है। जिसका मुख्य उद्देश्य कुशल और सुगम सड़क यात्रा प्रदान करना है, साल 2014 में शुरू की गई फास्ट्रेक प्रणाली बनी रहेगी। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से लागू किया जा रहे केंद्र के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप करने का हमारा कोई भी न्यायिक औचित्य नहीं है। ऐसे में अगर आप भी हाईवे पर अक्सर सफर करते रहते हैं और अपने फास्टैग नहीं लगवाया हुआ, तो तुरंत लगवा लीजिए। नहीं तो आपको दुगना भुगतान करना पड़ सकता है।
दिए गए थे ये जरूरी तर्क
नगद भुगतान की अनुमति देने के लिए कम से कम एक लेन को हाइब्रिड रखने का आग्रह किया गया था। इस पर तर्क दिया गया कि उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण फास्टैग का कार्य एवं सफल रहा, जिससे यात्रियों को परेशानियां हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हो सकते हैं जिन्हें अभी तक तकनीकी आदत नहीं है और उन्हें दुगना टोल टैक्स लेना मनमाना अवैध है और उनके स्वतंत्र रूप से घूमने के मौलिक अधिकार पर भी इसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
दिया गया पर्याप्त समय
हाई कोर्ट ने कहा कि जनता को बदलाव अपनाने के लिए प्राप्त समय देने के बाद ही फास्टैग को अनिवार्य किया गया है। साथ ही यह गलतफहमी है कि फास्टैग से लैस नहीं होने पर वहां से वसूली गई राशि जुर्माना है। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों में यह प्रावधान है कि फासटैग लेन में प्रवेश करने वाले ऐसे वाहनों को दुगना शुल्क देना होगा. ऐसे में कोर्ट की तरफ से नागरिकों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के तर्क को भी खारिज कर दिया गया।